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मानसिक लालसा

 किसी भी तकनिकी जाकारी आपके लिए तभी महत्व रखेगी जब आपमें सीखने की लालसा हो और ये निश्चय कर लिया हो की मुझे ये अमुक कार्य हर हाल में करना है।हरेक इंसान किसी काम् को अपने मानसिक पटल पर पुरा करने को अंजाम देता है।आपको एक बिचार बनाना है-'मै समाज मे लोकप्रिय और सम्मानित बनने के लिए अपने ब्यक्तित्व मे सुधार लाना चाहता हुँ।'। परामर्श से स्वाभाब नहीं बदला जा सकता है क्योकि जिसकी जैसी प्रवृति होती है बैसा ही वो पुनः हो जाता है।जिस तरह पानी का स्वाभाब शीतल होना है पानी को जितना चाहो गरम करो जल तो सकता है मगर पुनः शीतल हो जाता है।इसलिए किसी को परामर्श देना या खुद पर लागु करना तभी कारगर साबित होगा जब वो रोजमर्रा की आदत बन जाति है।             आज  के युग मे सभी चाहते है कि उनके व्यक्तित्व का विकास हो और लोग उनको सराहे एवं उन्हे सम्मान की दृष्टि से देखा जाये।आज से दो दशक पहले ब्यक्तित्व विकास के सम्बन्ध मे बहुत जाग्रति हुयी है ऐसा नहीं है कि भारतीय संस्कृति मे ब्यक्तित्व संयोजन की अवधारणा का आभाव रहा हो ।भारतीय संस्कृति मे गुरुकुल मे रहते हुए बच्चें को व्यक्तित्व विकास की शिक्षा प्रदान की जा